Tuesday, November 19, 2013

Shree Sidhbali Baba Varshik Anusthan Mela 2013

जय श्री सिद्धबली बाबा कोटद्वार

जय श्री सिद्धबली बाबा

परमपावन धाम श्री सिद्धबली बाबा मंदिर दिल्ली से लगभग 230 कि.मी. दूर एवं हरिद्वार से 60 कि.मी. दूर व नजीबाबाद जंक्शन से 30 कि.मी. दूर, उत्तरांचल प्रदेश के कोटद्वार शहर में स्थित है। यह स्थान तीन तरफ से वनों से ढका हुआ बड़ा रमणीय व पूज्य स्थान हैं यह स्थान श्री सिद्धबाबा (गुरु गोरखनाथ एवं उनके शिष्यों) का तपस्थान रहा है।

श्री सिद्धबली बाबा मंदिर खोह नदी के तट पर स्थित है, और शिवालिक पहाड़ियों से घिरा हुआ है | यह मंदिर कुछ वर्ष पूर्व, भूस्खलन के कारण एक तिहाही तक ध्वस्त हो गया था, लेकिन आश्चर्य जनक रूप से अपने स्थान पर ही टिका रहा, और आज भी शहर के ऊंचाई में अपनी शान के साथ स्थित है | ऐसी मान्यता है कि जीर्ण अवस्था के समय, स्वयं हनुमान जी ने मंदिर को अपने कन्धों पर सहारा दिया था |


यहाँ पर भक्तों द्वारा विश्वास किया जाता है कि जो भी पवित्र भावना से कोई मनोती श्री सिद्धबली बाबा से मांगता है, अवश्य पूर्ण होती है। मनोती पूर्ण होने पर भक्तजन भण्डारा आदि करते हैं। श्री सिद्धबली बाबा को बरेली, बुलन्दशहर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, बिजनौर, हरिद्वार आदि तक की भूमि का क्षेत्रपाल देवता के रूप में भी पूजा जाता है।

यहाँ पर रविवार, मंगलवार एवं शनिवार को भण्डारे करने की परम्प्रा है। लेकिन रविवार को भण्डारा करने की विशेष महत्व है।
श्री सिद्धबली बाबा को आटा, गुड़, घी, भेली से बना रोट एवं नारियल का प्रसाद चढ़ता है एवं हनुमान जी को सवा हाथ का लंगोट व चोला भी चढ़ता है। प्रात: ब्रमुहर्त में पुजारियों द्वारा पिण्डियों (जिनकी पूजा स्वयं सिद्धबाबा जी शिव शक्ति के रूप में करते थे) की अभिषेक पूजा की जाती है, तत्पश्चात् सर्वप्रथम साधुओं द्वारा बनाये गये रोट (गुड़, आटा व घी से बनी रोटी) का भोग चढ़ता है। तत्पश्चात् ही अन्य भोग चढ़ते हैं। दिसम्बर माह में पौष संक्रान्ति को श्री सिद्धबाबा का तीन दिवसीय विशाल मेला लगता है, जिसमें लगातार तीन दिन तक बड़े भण्डारे आयोजित होते हैं एवं सवा मन का रोट प्रसाद स्वरूप बनाया जाता है।